राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाला यह क्षेत्र देश की प्राचीनतम परंपराओं और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का साक्षी रहा है। यहां की नदियां, पहाड़ और जंगल भारतीय सभ्यता की जड़ों को मजबूती प्रदान करते हैं। वे मंगलवार को गुमला में आयोजित अंतरराज्यीय जन-सांस्कृतिक समागम सह कार्तिक जतरा समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रही थीं।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस आयोजन में जनजातीय और सदान समुदाय का सुंदर संगम देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि 140 करोड़ देशवासी उनका परिवार हैं और वे स्वयं जनजातीय समाज की बेटी हैं। उन्होंने राष्ट्रमाता कहे जाने के बजाय बहन या माता के रूप में अपनापन महसूस करने की बात कही।
अपने झारखंड राज्यपाल काल को याद करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने यहां के जनजीवन को बहुत करीब से देखा और समझा है। छह वर्षों तक राज्य और समाज की सेवा करने का अवसर उन्हें सौभाग्य से मिला। भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली और कर्मभूमि पर आकर उन्हें तीर्थ यात्रा जैसा अनुभव हो रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि कार्तिक उरांव ने धरती आबा बिरसा मुंडा के आदर्शों के अनुरूप जनजातीय चेतना और पहचान को मजबूत किया। उनके विचार और कार्य न केवल जनजातीय समाज, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणादायक हैं। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज भारत का गौरव है और इसके समग्र विकास के लिए शिक्षा को प्राथमिकता देनी होगी।
शिक्षा को विकास की कुंजी बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि व्यक्ति, परिवार और समाज की उन्नति शिक्षा से ही संभव है। उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा तीनों राज्यों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त है, क्योंकि यहां के मुख्यमंत्री जनजातीय समुदाय से आते हैं। उन्होंने इस क्षेत्र में विश्वविद्यालय की स्थापना के प्रयास का भरोसा भी दिलाया।
सरकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय समाज के लिए एकलव्य मॉडल स्कूलों सहित कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। सरकार अंत्योदय के सिद्धांत पर कार्य कर रही है, ताकि विकास का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।
उन्होंने कहा कि आज भी आदिवासी समाज कई चुनौतियों से जूझ रहा है। झारखंड में राज्यपाल रहते हुए भूमिहीन जनजातीय परिवारों और टाना भगतों की जमीन के पंजीकरण के लिए किए गए प्रयासों का भी उन्होंने जिक्र किया। राष्ट्रपति ने समाज के शिक्षित लोगों से गांवों से जुड़े रहने और जनजातीय उत्थान में सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की।
गुमला को वीरों की भूमि बताते हुए राष्ट्रपति ने परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का को याद किया और कहा कि उनका जीवन परिचय परमवीर दीर्घा में सदा के लिए दर्ज रहेगा। उन्होंने खेल, कला और संस्कृति को जनजातीय समाज के सशक्तिकरण का प्रभावी माध्यम बताया।
इस मौके पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अब अंतिम सांस ले रहा है और बस्तर क्षेत्र में शांति बहाल हो रही है। उन्होंने कहा कि डबल इंजन सरकार के प्रयासों से विकास कार्य तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और लोग मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं।
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