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वोटर लिस्ट संशोधन पर बवाल, SIR में लाखों नाम कटने को लेकर कांग्रेस का हमला


नई दिल्ली: कांग्रेस ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ के आरोपों को दोहराते हुए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के दौरान मतदाता सूचियों से बड़े पैमाने पर नाम हटाए जाने पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी का दावा है कि नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहे SIR के बीच तमिलनाडु, राजस्थान और मध्य प्रदेश में लाखों मतदाताओं के नाम सूची से काटे गए हैं।

कांग्रेस के आंतरिक आकलन के अनुसार, तमिलनाडु में करीब 97.27 लाख नाम हटाए गए। इनमें लगभग 66.4 लाख लोग स्थान बदल चुके या अनुपलब्ध बताए गए, 26.9 लाख मृत और करीब 4 लाख डुप्लीकेट एंट्री के रूप में दर्ज हैं। इसके चलते राज्य में मतदाताओं की संख्या 6.41 करोड़ से घटकर लगभग 5.43 करोड़ रह गई, यानी करीब 15 प्रतिशत की कमी।

एआईसीसी के तमिलनाडु प्रभारी गिरीश चोडांकर ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में नामों का हटना केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं हो सकती। उनके मुताबिक इससे प्रवासी मजदूरों, बुजुर्गों और पहली बार वोट देने वालों के संवैधानिक अधिकारों पर खतरा पैदा हुआ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस घर-घर जाकर अंतिम सूची का सत्यापन करेगी ताकि कोई भी पात्र मतदाता गलत तरीके से न हटे।

पार्टी ने बताया कि तमिलनाडु में 14 दिसंबर को दिल्ली में होने वाली राष्ट्रीय रैली से पहले ‘वोट चोरी’ के खिलाफ 1.2 करोड़ हस्ताक्षर जुटाए गए। मध्य प्रदेश में कुल 5.65 करोड़ मतदाताओं में से करीब 40 लाख नाम हटाए जाने का दावा किया गया है, जबकि राजस्थान में 5.32 करोड़ में से लगभग 41.85 लाख नाम, यानी करीब 7 प्रतिशत, SIR के दौरान काटे गए। मध्य प्रदेश और राजस्थान में बीजेपी की सरकार है, जबकि तमिलनाडु में डीएमके के नेतृत्व वाली सरकार को कांग्रेस का समर्थन है।

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच वोटों का अंतर 30–35 लाख था, जबकि अब SIR में इससे अधिक नाम हटाए गए हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आरोप लगाया कि या तो मतदाताओं को गलत तरीके से हटाया जा रहा है, या फिर पिछला चुनाव इन्हीं वोटों की वजह से प्रभावित हुआ।

पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि बिहार, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी SIR के नाम पर विपक्षी दलों के समर्थक मतदाताओं को निशाना बनाया जा रहा है। कांग्रेस का कहना है कि पिछली सरकारों के दौरान मतदाता सूची को समावेशी बनाने पर जोर था, जबकि अब व्यवस्थित तरीके से नाम हटाए जा रहे हैं। राजस्थान के एआईसीसी इंचार्ज सचिव रुत्विक मकवाना ने इसे लोकतंत्र की जड़ों पर हमला बताते हुए सभी नागरिकों से विरोध की अपील की है।

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