पूर्व मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि पेसा कानून के मॉडल रूल पहले ही भेजे जा चुके थे, लेकिन झारखंड में इसके लागू होने में देरी हुई। अब इस कानून के लागू होने से आदिवासियों के अधिकार और अधिक सशक्त होंगे। उन्होंने कहा कि अधिकार मिलने के साथ समाज की जिम्मेदारी भी बढ़ती है और इसका सही तरीके से निर्वहन जरूरी है।
उन्होंने विश्वास जताया कि पेसा कानून के प्रभावी क्रियान्वयन से शोषण पर रोक लगेगी और आदिवासियों की जमीन सुरक्षित रहेगी। सामाजिक कार्यकर्ता निशा उरांव ने भी इसे आदिवासी समाज के लंबे संघर्ष का परिणाम बताया और कहा कि अब अधिकार केवल कागजों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि सीधे लोगों के हाथ में होंगे।
पेसा कानून लागू होने से गांवों में सहभागिता बढ़ेगी और पारंपरिक व्यवस्था को मजबूती मिलेगी। राज्य के 16 जिलों में इस कानून के लागू होने के बाद ग्राम सभाओं को अधिक अधिकार मिलेंगे, जिससे आदिवासी समाज अपने जल, जंगल और जमीन की रक्षा स्वयं कर सकेगा।
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