रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में खून की कमी और रिप्लेसमेंट डोनर पर निर्भरता को खत्म करने के लिए अहम निर्देश जारी किए हैं। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की पीठ ने सरकार को हर जिले में तीन महीने के भीतर ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट (BCSU) लगाने का आदेश दिया है, ताकि प्लेटलेट्स, प्लाज्मा और अन्य रक्त घटक समय पर मरीजों को उपलब्ध कराए जा सकें।
कोर्ट ने राज्य के सभी डे केयर सेंटर को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की हीमोग्लोबिनोपैथी (2016) और सिकल सेल रोग प्रबंधन (2023) से संबंधित गाइडलाइंस के अनुरूप सक्रिय करने का निर्देश भी दिया है।
मरीजों की सुविधा और शिकायत निवारण के लिए हाईकोर्ट ने डेडिकेटेड शिकायत निवारण सेल स्थापित करने का आदेश दिया है, जिसमें मोबाइल ऐप, वेबसाइट और टोल फ्री नंबर शामिल होंगे। इसके जरिए खून की आवश्यकता वाले मरीजों को रियल-टाइम सहायता उपलब्ध कराई जाएगी और शिकायतों का त्वरित निपटारा किया जाएगा।
कोर्ट ने राज्य के सभी ब्लड बैंकों का प्रत्येक तीन माह में निरीक्षण करने और पर्याप्त कर्मियों की नियुक्ति सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग, सरकार और स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल (SBTC) को कहा गया है कि स्वैच्छिक रक्तदान के माध्यम से पूरे राज्य में खून की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए और नियमित रक्तदान शिविर आयोजित किए जाएं।
हाईकोर्ट ने निजी अस्पतालों और ब्लड बैंकों को भी अपने-अपने रक्त की पूर्ति के लिए नियमित रक्तदान शिविर आयोजित करने का आदेश दिया ताकि रिप्लेसमेंट डोनर पर निर्भरता पूरी तरह खत्म हो सके। कोर्ट ने अनुपालन रिपोर्ट 20 मार्च तक पेश करने के लिए सभी पक्षों को निर्देशित किया है।
मामले की पृष्ठभूमि यह है कि थैलेसीमिया पीड़ित एक बच्चे को रांची सदर अस्पताल में ब्लड चढ़ाया गया था, बाद में वह एचआईवी संक्रमित पाया गया। इसी तरह चाईबासा सदर अस्पताल में पांच बच्चों को ब्लड ट्रांसफ्यूजन के बाद एचआईवी पॉजिटिव पाया गया, जिसमें एक सात वर्षीय थैलेसीमिया रोगी भी शामिल था। इसके बाद हाईकोर्ट ने मामले को जनहित याचिका में तब्दील कर गंभीर सुनवाई की।
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