झारखंड में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में इस साल चिंताजनक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी रांची महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से राज्य का सबसे असुरक्षित जिला बनकर उभरा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि रांची में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
एससीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, पूरे राज्य में अपहरण के मामलों में 14 प्रतिशत, दुष्कर्म के मामलों में 9.4 प्रतिशत और छेड़खानी की घटनाओं में 5.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके अलावा दहेज हत्या और दहेज प्रताड़ना के मामलों में भी इजाफा देखा गया है। जनवरी से अक्टूबर 2025 के बीच झारखंड में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4294 मामले दर्ज हुए, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह संख्या 4147 थी।
राजधानी रांची की स्थिति सबसे ज्यादा गंभीर बनी हुई है। इस साल के पहले दस महीनों में जिले में दुष्कर्म, अपहरण, छेड़खानी, दहेज हत्या और दहेज प्रताड़ना से जुड़े 679 मामले सामने आए हैं। वहीं पिछले साल इसी अवधि में ऐसे मामलों की संख्या 460 थी। अक्टूबर से दिसंबर के बीच के महीनों में भी अपराध के ग्राफ में और बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
यह हालात तब हैं, जब रांची में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई इंतजाम लागू किए गए हैं। 24 घंटे संचालित महिला हेल्पलाइन, दिन में शक्ति कमांडो की तैनाती, 20 स्कूटी पर 40 महिला जवानों की विशेष टीम और आपात स्थिति के लिए शक्ति एप जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। इसके बावजूद रिपोर्ट यह दर्शाती है कि मौजूदा सुरक्षा व्यवस्थाएं अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण नहीं लगा पा रही हैं।
अन्य जिलों की स्थिति भी चिंताजनक बनी हुई है। जनवरी से अक्टूबर के बीच गिरिडीह में दुष्कर्म के 105 और सिमडेगा में 67 मामले दर्ज किए गए। वहीं अपहरण के मामलों में पलामू में 103 और देवघर में 80 घटनाएं सामने आई हैं। आंकड़ों के अनुसार राज्य में हर महीने औसतन दुष्कर्म और अपहरण के करीब 146 मामले दर्ज हो रहे हैं, जबकि छेड़खानी के औसतन 55 मामले प्रति माह सामने आ रहे हैं।
हालांकि रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि पिछले साल की तुलना में दहेज हत्या और दहेज प्रताड़ना के मामलों में कुछ कमी आई है, लेकिन कुल मिलाकर झारखंड में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर स्थिति अब भी गंभीर और चिंताजनक बनी हुई है।
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