जहां स्कूलों को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है, वहीं झारखंड के सरकारी स्कूलों में परीक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। कक्षा 1 से 8 तक चल रही अर्द्धवार्षिक मूल्यांकन परीक्षा की गोपनीयता पूरी तरह से भंग होती नजर आ रही है। परीक्षा से पहले ही प्रश्नपत्र और उनके उत्तर सोशल मीडिया पर उपलब्ध हो जाने से शिक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर संकट खड़ा हो गया है।
जानकारी के अनुसार, कक्षा 8 की संस्कृत और गणित की परीक्षा 23 दिसंबर को निर्धारित है, लेकिन इससे एक दिन पहले ही यानी 22 दिसंबर की सुबह से इन विषयों के प्रश्नपत्र और उत्तर यूट्यूब चैनलों पर अपलोड कर दिए गए। यह सामग्री तेजी से वायरल हुई और बड़ी संख्या में छात्रों तक पहुंच गई। सोमवार को छात्रों के बीच यह प्रश्नपत्र व्यापक रूप से साझा किए गए।
बताया जा रहा है कि शनिवार से शुरू हुई अर्द्धवार्षिक परीक्षा के दौरान कक्षा 6 से 8 तक के कई विषयों के प्रश्नपत्र परीक्षा से पहले ही ऑनलाइन उपलब्ध करा दिए गए थे। कई यूट्यूब चैनलों पर अपलोड किए गए प्रश्नपत्र और उत्तर झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा स्कूलों को भेजे गए वास्तविक प्रश्नपत्रों से पूरी तरह मेल खाते पाए गए हैं।
डुमरी के एक सरकारी स्कूल में कक्षा 8 के विज्ञान विषय के प्रश्नपत्र का मिलान करने पर यह स्पष्ट हुआ कि यूट्यूब पर वायरल प्रश्नपत्र वही था, जो स्कूल को आधिकारिक रूप से मिला था। इसी तरह कक्षा 6 की विज्ञान परीक्षा का प्रश्नपत्र और उत्तर भी परीक्षा से करीब 21 घंटे पहले ही ऑनलाइन डाल दिया गया था।
इस पूरे मामले पर जिला शिक्षा अधीक्षक मुकुल राज ने कहा कि उन्हें अभी इसकी औपचारिक जानकारी नहीं मिली थी, लेकिन यदि प्रश्नपत्र लीक हो रहे हैं तो यह बेहद गंभीर जांच का विषय है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस तरह की शिकायतें केवल गिरिडीह से नहीं, बल्कि रांची और अन्य जिलों से भी सामने आ रही हैं।
प्रश्नपत्र लीक की घटनाओं ने न सिर्फ ईमानदारी से पढ़ाई करने वाले छात्रों के भविष्य पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि पूरी शिक्षा प्रणाली में लापरवाही और जवाबदेही की कमी को भी उजागर कर दिया है। यदि समय रहते इस पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो शिक्षा व्यवस्था पर लोगों का भरोसा और कमजोर हो सकता है।
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