रांची: पेसा नियमावली से जुड़ी अवमानना याचिका पर मंगलवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई की गई। इस दौरान पंचायती राज विभाग के सचिव मनोज कुमार सशरीर कोर्ट में उपस्थित रहे।
सुनवाई के दौरान सचिव की ओर से अदालत को बताया गया कि पेसा नियमावली का प्रारूप तैयार कर लिया गया है और इसे कैबिनेट के समक्ष भेज दिया गया है। सरकार ने दलील दी कि मसौदे को किसी भी समय कैबिनेट में प्रस्तुत किया जा सकता है, इसके लिए और समय की आवश्यकता है। सरकार की इस मांग को स्वीकार करते हुए खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 13 जनवरी 2026 तय की है।
गौरतलब है कि 18 दिसंबर को हुई पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने पेसा नियमावली लागू नहीं होने पर कड़ी नाराजगी जताई थी। अदालत ने पंचायती राज विभाग के सचिव को 23 दिसंबर को समय-सीमा के साथ जवाब देने का निर्देश दिया था। उस दौरान सरकार की ओर से बताया गया था कि मामला पहले ही कैबिनेट को भेजा जा चुका है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभिषेक रॉय ने पक्ष रखा।
बालू और लघु खनिज के आवंटन पर रोक बरकरार
पेसा नियमावली लागू नहीं होने को लेकर आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की ओर से अवमानना याचिका दाखिल की गई है। इससे पहले 9 सितंबर को खंडपीठ ने राज्य में बालू और लघु खनिज के आवंटन पर रोक लगा दी थी। राज्य सरकार ने 4 दिसंबर को इस रोक को हटाने का आग्रह किया था, लेकिन अदालत ने इनकार कर दिया था।
पूर्व की सुनवाई में खंडपीठ ने विभागीय सचिव से यह भी सवाल किया था कि जनहित याचिका में आदेश पारित हुए 13 माह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अब तक पेसा नियमावली लागू क्यों नहीं की गई। फिलहाल, मामले में अगली सुनवाई 13 जनवरी 2026 को होगी।
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