आशीष कुमार साव
हजारीबाग:- दारु प्रखंड के अंतर्गत रामदेव खरिका पंचायत के छोटे से गांव झुमरा में खुशी का माहौल है। गांव के निवासी सिद्धार्थ कुमार वर्मा, पिता विजय प्रसाद और माता शांति देवी के सबसे बड़े पुत्र, ने भारतीय सेना में नौकरी हासिल कर पूरे परिवार और गांव का नाम रोशन किया है। एक साधारण किसान परिवार से आने वाले सिद्धार्थ ने कड़ी मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल किया, जो गांव के युवाओं के लिए प्रेरणा बन गया है। सिद्धार्थ ने बताया कि आज उन्होंने अपने माता-पिता का सपना पूरा कर दिया। उनके पिता विजय प्रसाद ने गर्व से कहा, "अगर बेटा सच्ची लगन से मेहनत करे, तो एक दिन सफलता जरूर मिलती है।" माता शांति देवी की आंखों में खुशी के आंसू थे, जब उन्होंने कहा, "आज से मेरा बेटा देश की सेवा में योगदान देगा। वह अब राष्ट्र रक्षक बनेगा।" गांव वाले लगातार बधाइयां दे रहे हैं, घर पर मिठाइयां बंट रही हैं और हर कोई सिद्धार्थ की बहादुरी और समर्पण की तारीफ कर रहा है। सिद्धार्थ की शिक्षा की यात्रा भी प्रेरणादायक है। उन्होंने कक्षा 1 से लेकर प्रारंभिक पढ़ाई गांव के ही स्कूल से पूरी की। इसके बाद 12वीं की परीक्षा इंटर साइंस कॉलेज, हजारीबाग से पास की और स्नातक स्तर पर बीए हिस्ट्री ऑनर्स सेंट कोलंबस कॉलेज, हजारीबाग से पूरा किया। एक किसान के बेटे होने के बावजूद सिद्धार्थ ने कभी हार नहीं मानी। उनके चाचा संजय प्रसाद और पूरे परिवार का पूरा सहयोग रहा, जिसने उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। सिद्धार्थ तीन भाइयों में सबसे बड़े हैं। उनके छोटे भाई अमन कुमार और लक्की कुमार अभी पढ़ाई कर रहे हैं। परिवार उम्मीद करता है कि सिद्धार्थ की सफलता से वे भी प्रेरित होंगे। भारतीय सेना में चयनित होना आसान नहीं होता, लेकिन सिद्धार्थ की दृढ़ इच्छाशक्ति ने सब कुछ संभव बना दिया। गांव के लोग कहते हैं कि ऐसे युवा देश का गौरव बढ़ाते हैं। यह कहानी बताती है कि ग्रामीण परिवेश से आने वाले युवा भी बड़े सपने देख सकते हैं और उन्हें पूरा कर सकते हैं। सिद्धार्थ कुमार वर्मा जैसे युवा देश सेवा के लिए तैयार होकर सीमाओं पर तैनात होंगे, जहां वे राष्ट्र की रक्षा करेंगे। पूरे गांव और परिवार को उन पर गर्व है।

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