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भैरव सिंह की सीसीए निरुद्ध कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब


रांची स्थित झारखंड हाईकोर्ट में हिंदू संगठनों से जुड़े भैरव सिंह के खिलाफ अपराध नियंत्रण अधिनियम (सीसीए) के तहत की गई निरुद्ध कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस एस.एन. प्रसाद और जस्टिस संजय प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।

सुनवाई के दौरान अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि बिना पर्याप्त साक्ष्य के ही भैरव सिंह को सीसीए के तहत निरुद्ध किया गया है। कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि महावीर मंदिर और काली मंदिर से जुड़े मामलों में पूर्व में हाईकोर्ट स्वयं जनहित याचिकाओं में आदेश पारित कर चुका है। इसके बावजूद क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर इस तरह के आदेश पारित करना आपातकाल जैसी स्थिति का संकेत देता है।

भैरव सिंह की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और अभय मिश्रा ने दलील दी कि उनके मुवक्किल कोई पेशेवर अपराधी नहीं हैं और उनके खिलाफ सीसीए के तहत जारी निरुद्ध आदेश संविधान के प्रावधानों के विपरीत है। उन्होंने कहा कि भैरव सिंह पर दर्ज सभी मामले सनातन धर्म के समर्थन में किए गए शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शनों से जुड़े हैं।

अधिवक्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि जिस आधार पर पहले जिला बदर की कार्रवाई की गई थी, उसी आधार पर दोबारा निरुद्ध आदेश पारित नहीं किया जा सकता। साथ ही उन्होंने कहा कि भैरव सिंह के खिलाफ सीसीए की धाराएं लागू ही नहीं होतीं।

मामले का उल्लेख करते हुए यह भी कहा गया कि पहला मामला काली मंदिर और महावीर मंदिर में प्रतिबंधित मांस फेंके जाने के विरोध से जुड़ा है, लेकिन उस प्रकरण में दोषियों को पकड़ने के बजाय तत्कालीन एसएसपी का तबादला कर दिया गया था।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता ने सीसीए की धारा 12 के तहत पारित निरुद्ध आदेश को चुनौती दी है और इस पर राज्य सरकार को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया गया है।

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