रांची के ऐतिहासिक बड़ा तालाब में अतिक्रमण को लेकर नगर निगम प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। तालाब की वास्तविक स्थिति स्पष्ट करने और अतिक्रमण की सच्चाई सामने लाने के लिए नगर निगम की ओर से दो अलग-अलग जांच टीमों का गठन किया गया है। प्रशासन का कहना है कि बिना ठोस तथ्यों और दस्तावेजों के किसी नतीजे पर पहुंचना उचित नहीं होगा, इसलिए जांच प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और तथ्यपरक बनाया जा रहा है।
नगर निगम के अपर प्रशासक संजय कुमार के अनुसार, पहली टीम को बड़ा तालाब के वर्तमान क्षेत्रफल, उसकी सीमाओं और आसपास की भौतिक स्थिति का विस्तृत सर्वे कर जल्द रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। वहीं दूसरी टीम के रूप में सदर अंचल अधिकारी को अब तक हुई सभी पुरानी जांचों से जुड़े दस्तावेज और रिकॉर्ड नगर निगम को उपलब्ध कराने को कहा गया है। दोनों रिपोर्टों का मिलान करने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि अतिक्रमण कहां और कितनी भूमि पर हुआ है।
प्रशासन का मानना है कि बड़ा तालाब के चारों ओर सड़कें और अन्य संरचनाएं विकसित होने के कारण सीमाओं को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। अंतिम रिपोर्ट आने के बाद यह तय किया जाएगा कि कौन-सा हिस्सा सार्वजनिक जलक्षेत्र में आता है और कहां नियमों का उल्लंघन किया गया है।
अपर प्रशासक ने साफ कहा है कि यदि जांच में तालाब या उससे संबंधित भूमि पर अतिक्रमण की पुष्टि होती है, तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने संकेत दिया कि भविष्य में कांके डैम और हरमू नदी के आसपास के इलाकों में भी इसी तरह की जांच की जा सकती है।
हालांकि, जमीन के मालिकाना हक और दस्तावेजों को लेकर उठ रहे सवालों पर नगर निगम प्रशासन ने फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है। प्रशासन का जोर इस बात पर है कि पहले सभी तथ्य सामने आएं, ताकि किसी के साथ अन्याय न हो और सार्वजनिक जलस्रोतों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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