झारखंड में देसी शराब सप्लाई से जुड़े बड़े घोटाले की जांच आगे बढ़ने के साथ नए खुलासे सामने आ रहे हैं। ताज़ा जांच में सामने आया है कि सप्लाई करने वाली कंपनियों से घटिया शराब के बदले हर पेटी पर 300 से 600 रुपये तक कमीशन वसूला जाता था। केस डायरी में दर्ज बयान के अनुसार, उस समय के उत्पाद सचिव विनय चौबे और छत्तीसगढ़ के अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी इस अवैध कमीशन वसूली में शामिल थे।
राज्य में देसी शराब वितरण का बड़ा हिस्सा तीन कंपनियों—छत्तीसगढ़ डिस्टिलरी, ओम साई बेवरेज और दीशिता वेंचर्स—को सौंपा गया था। आरोप है कि इन कंपनियों को बिना पात्रता पूरी किए ही ठेका दिया गया और यह पूरा सेटअप पहले से तय योजना का हिस्सा था।
सरकार को 136 करोड़ रुपये की चपत
जांच में यह भी सामने आया कि ओम साई और दीशिता उन ब्रांडों से ही शराब खरीद रहे थे, जो अधिक कमीशन देते थे। इसके चलते अच्छी क्वालिटी वाले लोकप्रिय ब्रांड बाजार से लगभग गायब हो गए और सरकार को करीब 136 करोड़ रुपये का भारी नुकसान उठाना पड़ा।
इस घोटाले में विनय चौबे को मुख्य साजिशकर्ता माना जा रहा है। आरोप है कि उन्होंने छत्तीसगढ़ मॉडल को झारखंड में लागू कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जांच एजेंसियां अब पैसों के लेनदेन की पूरी **मनी ट्रेल** खंगाल रही हैं और आने वाले दिनों में और बड़े खुलासों की संभावना है।
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